गृह मंत्री अमित शाह हिंदी दिवस के अवसर पर ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ पैरवी कर विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। शाह ने देश के लिए साझा भाषा की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि यह हिंदी है जो सबसे अधिक बोली जाती है और पूरे देश को एकजुट कर सकती है। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि लोगों को सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए लेकिन अपनी मातृभाषा की कीमत पर नहीं।
बनर्जी ने ट्वीट किया कि हिंदी दिवस पर सभी को मेरी शुभकामनाएं। हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए। हम कई भाषाएं सीख सकते हैं लेकिन हमें अपनी मातृभाषा कभी भूलनी नहीं चाहिए। वहीं द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के प्रमुख एमके स्टालिन ने शाह के बयान का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सफाई मांगी।
स्टालिन ने कहा कि हम हमेशा से हिंदी को थोपे जाने का विरोध करते रहे हैं। आज के अमित शाह के बयान ने मुझे झटका दिया। ये देश की एकता को प्रभावित करेगा। हम उनसे बयान वापस लेने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सोमवार को अपनी कार्यकारी पार्टी की बैठक में इस मामले पर चर्चा करेगी। एक ट्वीट में स्टालिन ने भारतीय जनता पार्टी से एक भाषा के विचार को वापस लेने के लिए कहा।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी ‘एक भाषा’ की डिबेट को हिंदुत्व से जोड़कर सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है। क्या आप इस देश की कई मातृभाषाएं होने की विविधता और खूबसूरती की प्रशंसा करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने लिखा कि भारत हिंदी, हिंदू, हिंदुत्व से भी बड़ा है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि आशा-अभिलाषा है हिंदी, सबको साथ लेकर चलनेवाली भाषा है हिंदी। हिंदी साहित्य की सेवा में लगे हुए सभी लेखकों, कवियों और पत्रकारों को नमन करते हुए देशवासियों को हिंदी-दिवस की शुभकामनाएं।